सीडीएस जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद पहली बार होगी तीनों सेना प्रमुखों की बैठक

सीडीएस जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद पहली बार होगी तीनों सेना प्रमुखों की बैठक

सीडीएस जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद पहली बार होगी तीनों सेना प्रमुखों की बैठक

सीडीएस जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद पहली बार होगी तीनों सेना प्रमुखों की बैठक

नई दिल्‍ली. चीन (China) और पाकिस्तान सीमा (Pakistan Border) के सुरक्षा हालात को लेकर इसी हफ्ते दिल्‍ली (Delhi) में सेना (Army) के सात कमांडरों (Commanders) की दो दिवसीय अहम बैठक होने जा रही है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में बॉर्डर (Border) पर चीन की बढ़ती गतिविधियों और पाकिस्‍तान की ओर से जारी आतंकी हमलों को लेकर चर्चा की जाएगी. पिछले दिनों एक चॉपर क्रैश में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) के निधन के बाद सेना की यह पहली अहम बैठक होने जा रही है.

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद पहली बार, 13 लाख मजबूत बलों के सभी सेना कमांडर वर्तमान परिस्थितियों में चीन और पाकिस्तान सीमा पर सुरक्षा हालात को लेकर चर्चा करने के लिए 23 से 24 दिसंबर तक राष्ट्रीय राजधानी में होंगे. यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब देश के सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और उनकी पत्नी मधुलिका रावत के साथ 12 अन्य कर्मियों की एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई.

बता दें पिछले साल अप्रैल और मई में चीन की ओर से एकतरफा आक्रामकता दिखाने के बाद से दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध बना हुआ है. गलवान में चीनी सेना की ओर से किए गए हमले का भारतीय सेना ने माकूल जवाब दिया था, जिसके बाद चीन की सेना को अपने कदम पीछे हटाने पड़े थे. इस घटना में दोनों देशों के कई सैनिक हताहत हुए थे. खबर है कि सभी सेना कमांडरों को विशेष रूप से चीन सीमा पर सुरक्षा स्थिति से अवगत कराया जाएगा, जिसने अत्यधिक सर्दियों के बावजूद लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र के सामने भारत के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती को बनाए रखा है.

अरुणाचल प्रदेश से लद्दाख तक चीन के साथ लगी सीमा की रक्षा की जिम्मेदारी सेना की पूर्वी, मध्य और उत्तरी कमानों की है. चीन सीमा के सबसे बड़े क्षेत्र को पूर्वी सेना कमान द्वारा कवर किया गया है. सीडीएस के निधन के बाद सरकार उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति पर काम कर रही है और रक्षा मंत्रालय ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है. सेना में चल रहे सुधारों और अन्य दो सेवाओं (नौसेना और वायुसेना) के साथ संयुक्तता बढ़ाने पर भी सेना कमांडरों के बीच चर्चा की उम्मीद है.